नमस्कार दोस्तों, इस लेख में हम आपके लिए गुलज़ार शायरी हिंदी में लेकर आए हैं। गुलज़ार साहब, जो ग़ज़ल, कविता और शायरी को एक नई पहचान देने वाले महान शायर हैं, आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। उनके लिखे हुए शब्द हमेशा के लिए अमर हो गए हैं।

जीवन के हर पहलू को उन्होंने अपने दिल से महसूस किया और उसे कागज़ पर खूबसूरती से उतारा। उनकी शायरी पढ़ते हुए हमें लगता है जैसे वह हमारी ही बात कह रहे हों।
यहाँ हमने गुलज़ार साहब की कुछ चुनिंदा शायरियों को शामिल किया है। इन्हें ज़रूर पढ़ें और अपने जीवन में उनकी गहराई और आनंद का अनुभव करें।
“ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए हैं,
फिर भी आंखों में तुम्हारा चेहरा समाए हुए हैं,
किताबों पर धूल जम जाने से कहानी कहां बदलती है।”
-गुलज़ार
“किसी को न पाने से जिंदगी खत्म नहीं होती, लेकिन किसी को पाकर खो देने से कुछ बाकी भी नहीं रहता।”
-गुलज़ार
“समेट लो इन नाजुक पलों को, ना जाने ये लम्हे हो ना हो,
हो भी ये लम्हे क्या मालूम, शामिल उन पलों में हम हो ना हो!”
-गुलज़ार
तुम्हारी ख़ुश्क सी आँखें भली नहीं लगतीं
वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएँ, भेजी हैं
एक बार तो यूँ होगा कि थोड़ा सा सुकून होगा,
ना दिल में कसक होगी और ना सर पे जूनून होगा
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं
शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है
दौलत नहीं शोहरत नहीं,न वाह चाहिए
“कैसे हो?” बस दो लफ़्जों की परवाह चाहिए
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था
आज की दास्ताँ हमारी है
“दुनिया में कोई किसी का हमदर्द नहीं होता, लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पूछते हैं और कितना वक्त लगेगा!”
-गुलज़ार
“मेरी तन्हाई का मुझे गिला नहीं, क्या हुआ अगर वो मुझे मिला नहीं, फिर भी दुआ करेंगे उसके वास्ते खुदा, उसे वो सब अता करे जो मुझे मिला नहीं!”
-गुलज़ार
“आज उसने एक और दर्द दिया हैं, तो मुझे याद आया मैंने ही तो दुवाओं में उसके सारे गम मांगे थे!”
-गुलज़ार
“जहर का भी अपना हिसाब है मरने के लिए, थोड़ा सा और जीने के लिए बहुत सारा पीना पड़ता है!”
-गुलज़ार
आइना देख कर तसल्ली हुई, हम को इस घर में जानता है कोई।
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा, क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा।
आप के बाद हर घड़ी हम ने, आप के साथ ही गुज़ारी है।
मैंने दबी आवाज़ में पूछा? मुहब्बत करने लगी हो? नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत।
मैं दिया हूँ! मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं, हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं।
“हम समझदार इतने कि उनका झूठ पकड़ लेते हैं और उनके दीवाने भी इतने कि फिर भी यकीन कर लेते हैं!”
-गुलज़ार
“दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता, रोता है दिल जब वो पास नहीं होता। बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में, और वो कहती हैं इस तरह प्यार नहीं होता!”
-गुलज़ार
“वक्त की कसौटी से हर रिश्ता गुजर गया, कुछ निकले खरे सोने से, कुछ का पानी उतर गया।”
-गुलज़ार
“जिंदगी ने सवाल बदल दिए, समय ने हालत बदल दिए, हम तो वही है यारों पर लोगो ने अपने ख्याल बदल दिए!”
-गुलज़ार
“झुकी हुई निगाह में, कहीं मेरा ख्याल था
दबी दबी हँसी में इक, हसीन सा गुलाल था
मै सोचता था, मेरा नाम गुनगुना रही है वो
न जाने क्यूं लगा मुझे, के मुस्कुरा रही है वो”
-गुलज़ार
“पता चल गया है के मंज़िल कहां है, चलो दिल के लंबे सफ़र पे चलेंगे, सफ़र ख़त्म कर देंगे हम तो वहीं पर, जहाँ तक तुम्हारे कदम ले चलेंगे।”
-गुलज़ार
वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफरत भी तुम्हारी थी,
हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे माँगते..
वो शहर भी तुम्हारा था वो अदालत भी तुम्हारी थी.
बेशूमार मोहब्बत होगी उस बारिश की बूँद को इस ज़मीन से,
यूँ ही नहीं कोई मोहब्बत मे इतना गिर जाता है!
तुम्हे जो याद करता हुँ, मै दुनिया भूल जाता हूँ ।
तेरी चाहत में अक्सर, सभँलना भूल जाता हूँ ।
अगर कसमें सब होती,
तो सबसे पहले खुदा मरता!
मुझसे तुम बस मोहब्बत कर लिया करो,
नखरे करने में वैसे भी तुम्हारा कोई जवाब नहीं!
हाथ छुटे तो भी रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक़्त की शाख से रिश्ते नहीं तोड़ा करते!
“ऐ हवा उनको कर दे खबर मेरी मौत की, और कहना कि, कफ़न की ख्वाहिश में मेरी लाश, उनके आँचल का इंतज़ार करती है।”
-गुलज़ार
“वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी, वो नफ़रत भी तुम्हारी थी, हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे मांगते, वो शहर भी तुम्हारा था, वो अदालत भी तुम्हारी थी।”
-गुलज़ार